संघर्ष को शलाम !
emoji unicode: 1f44c क्या जवाब था एक बेटी का
जब उससे पुछा गया कि तेरी दुनिया कहाँ से शुरू होती है कहाँ पर खत्म..बेटी का जवाब था..माँ की कोख से शुरू होकर, पिता के चरणो से गुजर कर, पति की दुःख सुख की गलियों से होकर, बच्चों के सपनो को पूरा करने तक खत्म.
दोस्तों ! लड़का हो या लड़की जिंदगी में सबको अपनी या अपने परिवार की ही चिंता होती है| लेकिन, इन्ही लोगों में से वो लोग निकलते हैं जो न सिर्फ अपनी बल्कि अपने और अपने घर, गाँव, प्रदेश, और फिर अपने देश का भी ख़याल रखते हैं| ये ही वो लोग हैं जिनकी महानता और प्रधानता में देश काल का इतिहास रचा जाता है|
ऐसे कई उदाहरण हैं जिनका इतिहास गवाह है| लेकिन काम की बात ये है की ये महान लोग आते कहाँ से, कैसे और क्या अलग करते हैं | उनकी मानसिकता कैसी होती है | उनके आचार, विचार, व्यवहार, और जीवन का कारोबार कैसा होता है | हमारे विचार जैसे होते हैं हम वैसे ही तो बनते हैं | और विचारों के बननें में सबसे बड़ा हाथ हमारे चारों ओर के परिवेश का होता है | मित्रों ! आज की पोस्ट इसी आधार पर है कि कैसा होंना चाहिए हमारा व्यवहार -
जिन्दगी की जंग में योद्धा समान बन जाते हैं,
मोहब्बत से जंग-ए-नफ़रतें जीत लाते हैं ,
आस्मां से जिनको संघर्ष के शलाम आते हों,
इस जहाँ में ऐसे ही लोग महान बन जाते हैं|
दोस्तों ! संघर्ष के शलाम सिर्फ उनको ही आते हैं जो दिल में इतिहास रचने का सत्संकल्प उठाते हैं | मतलब है की अगर आप महान बनना चाहते हैं तो रास्ते खुद व खुद बनते चले जायेंगे | आपको बस बहादुरी के साथ साहस (हिम्मत) से आगे बढ़ते रहना है |
संघर्ष की राह पर अनुशासन से आगे बढ़ते रहने पर ही आसमां से संघर्ष के खुशियों भरे शलाम आने लगते हैं ...
संघर्ष के जीवन में हँस-हँस के आगे बढ़ना,
जीवन के संग्राम में धीरवीर बनके लड़ना ,
रुकना न तू पिछड़ना, हिम्मत से आगे बढ़ना,
आंधी हो या हो तूफान इतिहास नया रचना,
संघर्ष के जीवन में हँस हँस के आगे बढ़ना,
जीवन के संग्राम में महावीर बनके लड़ना...||
-written by sk. gangwar

संघर्ष की राह पर अनुशासन से आगे बढ़ते रहने पर ही आसमां से संघर्ष के खुशियों भरे शलाम आने लगते हैं ...
संघर्ष के जीवन में हँस-हँस के आगे बढ़ना,
जीवन के संग्राम में धीरवीर बनके लड़ना ,
रुकना न तू पिछड़ना, हिम्मत से आगे बढ़ना,
आंधी हो या हो तूफान इतिहास नया रचना,
संघर्ष के जीवन में हँस हँस के आगे बढ़ना,
-written by sk. gangwar

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